यह कहानी आप Kamvasna श्रेणी के अंर्तगत पढ़ रहे हैं…
”सुधा मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और तुम्हें अपनी बनाना चाहता हूं…।“
उस रोज एकांत में मौका पाते ही बंटी ने सुधा को अपनी बाहों में भींच लिया। फिर उसके सुर्ख होंठों को कसकर चूमता हुआ बोला, ”मेरा कहा मानो तो कहीं भाग चलो। आखिर क्यों उस कंगले बुड्ढे के साथ अपनी जिन्दगी बर्बाद कर रही हो?“
सुधा कुछ नहीं बोली उसने बस अपना सिर बंटी के कंधों पर झुका दिया… इससे बंटी का हौसला बढ़ गया। उसने उसे गोद में उठाया और कमरे के अंदर ले गया। फिर वह उसके नाजुंक अंगों से छेड़छाड़ करने लगा, तो सुधा कसमसाई, लेकिन बोली कुछ नहीं। सुधा को कुछ कहते हुए न देखकर बंटी अपना चेहरा उसके सीने पर रगड़ने लगा, तो सुधा सीत्कार कर उठी। फिर मस्ती के जोश सुधा ने ना जाने कब बंटी को अपने ऊपर खींच लिया उसे खुद पता नहीं चला।
बंटी तो यही चाहता था। दूसरे ही पल उसने सुधा के कपड़े उतार फंेके। सुधा के नशीले जिस्म और दूधिया उभारों को देखकर वह मतवाला हो उठा और उन्हें धीरे-धीरे प्यार से सहलाने लगा। फिर जैसे ही बंटी का हाथ रेंगता हुआ सुधा की जांघों के ऊपर आया, सुधा मतवाली हो उठी और सिसियाती हुई बुरी तरह बंटी से लिपट गयी और उसके कपड़े नोंचने-खसोटने लगी।
”बंटी आज जोर-जोर से बजाओ मेरे प्यार की घंटी…।“ मादक सिसकियां भरती हुई बोली सुधा, ”तुमने मेरे अंग-अंग में मस्ती की लहर भर दी है। आज चटका डालो मेरी एक-एक नस को, हर अंग को।“
”देख लो मेरी रानी।“ बंटी कसकर उसके उभारों को मसलता हुआ बोला, ”बाद में बस-बस की रट न लगाने लग जाना।“
”मैं तो तुम्हारी बांहों में और…और की रट लगाना चाहती हूं… बस…बस की नहीं।“ मुस्करा के बोली सुधा, ”अपनी सुधा की आज पूरी सुधा मिटा डालो। यानी मेरी प्यास को बुझा दो।“
फिर देखते ही देखते दोनों से पूरी तरह नग्न हो गये और बिस्तर पर आकर एक-दूसरे को पछाड़ने लगे।
बंटी, सुधा के ऊपर आते हुए बोला, ”क्यों जानेमन, बोल दूं हमला तुम्हारी प्यार की खोली में?“
”पर हमला शानदार होना चाहिए मेरे राजा।“ सुधा भी एक आंख मारती हुई बोली, ”मुझे भी लगना चाहिए कि मेरी खोली में वाकई कोई मेहमान आया है।“
”मेहमान तो आ जायेगा मेरी जान, तुम्हारी खोली में।“ सुधा के उठे हुए नितम्बों पर हाथ फिराता हुआ बोला बंटी, ”पर तुम्हें भी मेरे मेहमान का अच्छे से ख्याल रखना होगा। उसे खूब प्यार देना होगा।“
”हां…हां… मेरे बलम वादा करती हूं, मेरी ‘खोली’ में आते ही तुम्हारा ‘मेहमान’ इतना मजा लूटेगा कि मेरी ‘खोली’ से निकलने का उसका मन ही नहीं करेगा।“
उस रोज एकांत में मौका पाते ही बंटी ने सुधा को अपनी बाहों में भींच लिया। फिर उसके सुर्ख होंठों को कसकर चूमता हुआ बोला, ”मेरा कहा मानो तो कहीं भाग चलो। आखिर क्यों उस कंगले बुड्ढे के साथ अपनी जिन्दगी बर्बाद कर रही हो?“
सुधा कुछ नहीं बोली उसने बस अपना सिर बंटी के कंधों पर झुका दिया… इससे बंटी का हौसला बढ़ गया। उसने उसे गोद में उठाया और कमरे के अंदर ले गया। फिर वह उसके नाजुंक अंगों से छेड़छाड़ करने लगा, तो सुधा कसमसाई, लेकिन बोली कुछ नहीं। सुधा को कुछ कहते हुए न देखकर बंटी अपना चेहरा उसके सीने पर रगड़ने लगा, तो सुधा सीत्कार कर उठी। फिर मस्ती के जोश सुधा ने ना जाने कब बंटी को अपने ऊपर खींच लिया उसे खुद पता नहीं चला।
बंटी तो यही चाहता था। दूसरे ही पल उसने सुधा के कपड़े उतार फंेके। सुधा के नशीले जिस्म और दूधिया उभारों को देखकर वह मतवाला हो उठा और उन्हें धीरे-धीरे प्यार से सहलाने लगा। फिर जैसे ही बंटी का हाथ रेंगता हुआ सुधा की जांघों के ऊपर आया, सुधा मतवाली हो उठी और सिसियाती हुई बुरी तरह बंटी से लिपट गयी और उसके कपड़े नोंचने-खसोटने लगी।
”बंटी आज जोर-जोर से बजाओ मेरे प्यार की घंटी…।“ मादक सिसकियां भरती हुई बोली सुधा, ”तुमने मेरे अंग-अंग में मस्ती की लहर भर दी है। आज चटका डालो मेरी एक-एक नस को, हर अंग को।“
”देख लो मेरी रानी।“ बंटी कसकर उसके उभारों को मसलता हुआ बोला, ”बाद में बस-बस की रट न लगाने लग जाना।“
”मैं तो तुम्हारी बांहों में और…और की रट लगाना चाहती हूं… बस…बस की नहीं।“ मुस्करा के बोली सुधा, ”अपनी सुधा की आज पूरी सुधा मिटा डालो। यानी मेरी प्यास को बुझा दो।“
बंटी, सुधा के ऊपर आते हुए बोला, ”क्यों जानेमन, बोल दूं हमला तुम्हारी प्यार की खोली में?“
”पर हमला शानदार होना चाहिए मेरे राजा।“ सुधा भी एक आंख मारती हुई बोली, ”मुझे भी लगना चाहिए कि मेरी खोली में वाकई कोई मेहमान आया है।“
”मेहमान तो आ जायेगा मेरी जान, तुम्हारी खोली में।“ सुधा के उठे हुए नितम्बों पर हाथ फिराता हुआ बोला बंटी, ”पर तुम्हें भी मेरे मेहमान का अच्छे से ख्याल रखना होगा। उसे खूब प्यार देना होगा।“
”हां…हां… मेरे बलम वादा करती हूं, मेरी ‘खोली’ में आते ही तुम्हारा ‘मेहमान’ इतना मजा लूटेगा कि मेरी ‘खोली’ से निकलने का उसका मन ही नहीं करेगा।“
फिर क्या था, तपाक से बंटी के सख्त मेहमान ने सुधा की ‘खोली’ में एन्ट्री मार ली। सुधा बेचैन होकर बोली, ”ओह…उई मां… कितना हट्टा-कट्टा मेहमान है। लगता है बहुत खेला खाया है, तभी तो आते ही मेरी खोली चरमराने लगी है। जरा अपने मेहमान से कहो, कि फिलहाल आराम से अपनी खातिरदारी करवाये।“
”मैंने तो पहले ही कहा था बस…बस न करना।“
”मैंने तो पहले ही कहा था बस…बस न करना।“
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